धर्म को अपनों से भी कहीं अधिक चाहा है हमने। धर्म को अपनों से भी कहीं अधिक चाहा है हमने।
मुख्तसर सी बात थी, तेरा वो मुस्कुराना। मुख्तसर सी बात थी, तेरा वो मुस्कुराना।
पर्वत कितने भी करीब हो जाए क्षितिज के, वो बस लौट आता है। पर्वत कितने भी करीब हो जाए क्षितिज के, वो बस लौट आता है।
बाल विवाह का शिकार जो बन जाए कुछ ऐसी है कहानी उसकी। बाल विवाह का शिकार जो बन जाए कुछ ऐसी है कहानी उसकी।
जो घाव दिए है हमने धरती को उन घावों पर मरहम अब लगाना होगा। जो घाव दिए है हमने धरती को उन घावों पर मरहम अब लगाना होगा।